
एक दीप जला दे
कहूँ अब
या रहूँ चुप
पर कब तक ?
क्या प्यार की
आखरी हद तक ?
क्या शब्द नहीं मुझ पर
या साहस नहीं मुझमें
या है कमी अभी
मेरे प्यार के विश्वास में ?
या है हावी उस पर
भय जन-जन का
या है प्रेम समाया
हृदय में उसके
किसी और सज्जन...
परिवर्तन नित - सत्य, अटल और अविघटन क्यों कि सृष्टि में जीवन का मूल है परिवर्तन सूर्य का उगना और फिर छिपना अपनी धुरी पर पृथ्वी का घूमना कली ...