मेरा अधूरा प्यार
चाहता हूँ जिसे
हृदय से अपने
और करता ईश की
जिसके लिए आराधना
वो मेरी प्रार्थना
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिस सा न अब कोई
मेरे जीवन में
और न चाहूँ ढूंढना
अब इस पूरे जगत में
कोई मूरत उस जैसी
वो प्रिय मेरी हितैसी
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिसके लिए भरा है
हृदय में प्यार मेरा
और जो बनी है महारानी
मेरे हृदय...