मेरा अधूरा प्यार
चाहता हूँ जिसे
हृदय से अपने
और करता ईश की
जिसके लिए आराधना
वो मेरी प्रार्थना
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिस सा न अब कोई
मेरे जीवन में
और न चाहूँ ढूंढना
अब इस पूरे जगत में
कोई मूरत उस जैसी
वो प्रिय मेरी हितैसी
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिसके लिए भरा है
हृदय में प्यार मेरा
और जो बनी है महारानी
मेरे हृदय साम्राज्य की
वो देवी मेरे भाग्य की
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिसकी चाहत में मेरा
बदला है रूप सारा
और सोचता मन में जब कभी
मुस्कुराहट उसके लाज की
वो हंसी मेरे राज की
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिसकी आहट ही मुझे
उसका एहसास दिलाती है
और जिसको सीने से लगाये अपने
होता है मेरा स्वप्न में मिलन
वो हृदय की मीठी जलन
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
जिसके मन की बात
मैं जान भी न सका अब तक
और प्यार के समंदर किनारे
भीगने को उसकी लहरों में
मैं कर रहा लंबा इंतजार
वो मेरा अधूरा प्यार
तुम हो, तुम हो, तुम हो ...
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